पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४९

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... आर्थिक भूगोल - - - -

( Terrace cultivation ) करना, वैज्ञानिक खेती करना, नालों और खाइयों में बांध बनाकर भावी कटाव को रोकना, या वृक्ष लगाकर उनको न बढ़ने देना, उस प्रदेश के प्रकृति वहाव ( Drainage ) का नियंत्रण करना इत्यादि मुख्य हैं। जैसे जैसे प्रत्येक देश की जनसंख्या बढ़ती जाती है वैसे ही वैसे मनुष्य. को भूमि की उत्पादन शक्ति बढ़ाने की आवश्यकता अनुभव होती है। वैज्ञानिक खेती और अधिकाधिक खाद के उपयोग से भूमि की उत्पादन शक्ति को घटने नहीं दिया जाता। भूमि के कटाव को रोककर, रेह वाली भूमि को वैज्ञानिक क्रियाओं द्वारा खेती के योग्य बनाकर, दलदल भूमि को सुखाकर और पथरीली तथा पहाड़ी भूमि का उपयोग करके मनुष्य भूमि की कमी को पूरा कर रहा है। आज मनुष्य की आर्थिक उन्नति और सभ्यता के विकास के लिए यह आवश्यक है कि वह भूमि के अपव्यय को रोके । भूमि और सभ्यता का घनिष्ठ सम्बन्ध है । यदि भूमि का अपव्यय नहीं रुकता तो सभ्यता का विनाश अवश्यम्भावी है। यह तो हम पहले ही कह चुके हैं कि पृथ्वी का धरातल एक सा नहीं है। कहीं गगन चुम्बी पर्वत हैं तो कहीं ऊँचे पठार तो पृथ्वी का धरालत कहीं नीचे और समथल मैदान हैं। धरातल के बहत. रूप होते हैं किन्तु मोटे तौर पर हम उन्हें ऊपर लिखे तीन भागों में बांट सकते थे अर्थात् मैदान, पठार, और पहाड़। .. मैदान नीचे होते हैं पठार और पहाड़ ऊँचे होते हैं । पठार और ___पहाड़ २००० फीट से अधिक ऊँचे होते हैं और मैदान (Piains) अधिकतर ३००० फीट से भी ऊँचे होते हैं किन्तु अधिकांश मैदान २००० फीट से नीचे होते हैं। :: पृथ्वी में जो भी भूमि है उसकी ऊँचाई इस प्रकार है:- १५०० फीट से नीचे ५५% प्रतिशत १५०० फीट से ३००० फीट तक १८% प्रतिशत ३००० फीट से ऊपर २७ प्रतिशत यह मनुष्य के लिए सौभाग्य की बात है कि पृथ्वी का इतना बड़ा भाग नीचे मैदान हैं क्योंकि मैदानों पर ही वनस्पति, पशु और मनुष्य अधिकतर फलता फूलता है और वहाँ की आर्थिक उन्नति होती है। मैदानों की मिट्टी अधिकतर उपजाऊ होती है और वहाँ पत्थर इत्यादि नहीं होते । यही नहीं अधिक ऊवह खाबड़ न होने के कारण वहाँ भूमि का कटाव कम होता है और मिट्टी उपजाऊ बनी रहती है। मैदानों में गमनागमन के साधन ( सड़क