पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५०४

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खेती

.:. खेती, लाख भारतवर्ष की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है किन्तु खाद्य पदार्थो को उत्पन्न करने में कोई. उन्नति नहीं: 'हो रही है। भारत में खाद्य खाद्य पदार्थों को उत्पन्न करने वाली भूमि का क्षेत्रफल पदार्थो कीसमस्या कुछ घट ही रहा है बढ़ नहीं रहा है इसका मुख्य (Food Problem कारण यह है किसान महत्वपूर्ण व्यापारिक फसलें of India ) अधिक उत्पन्न करने लगा है क्योंकि उसको उनके उत्पन्न करने से पैसा अधिक मिलता है। इस कारण भारत में खाद्य पदार्थों का टोटा पड़ गया है और. पिछले महायुद्ध, ने तो भारत में खाद्य पदार्थों की समस्या को और भी कठिन कर दिया है। मारत में गेहूँ और चावल, दो मुख्य खाद्य पदार्थ हैं। भारत में चावल को, औसत वार्षिक उत्पत्ति २१५ लाख टन है किन्तु भारत में. २०८ टन चावल की आवश्यकता है। इस प्रकार भारत में प्रतिवर्ष २४ लाख टन चावल की कमी है। पहले यह कमी बर्मा से मंगाकर पूरी की जाती थी किन्तु युद्ध काल में बर्मा से चावल आना बंद हो गया । जहाँ तक गेहूँ का प्रश्न है:भारत की स्थिति बहुत बुरी नहीं है। यदि फसल अच्छी हो तो साधारण.. वर्षों में भारत में १०० लाख. टन की आवश्यकता होती है और लगमग.. १०१ लाख टन गेहूँ उत्पन्न होता है, किन्तु,युद्ध के कारण स्थिति में बहुत अन्तर हो गया हैं। किमान आज पहले से अधिक गेहूँ खाने लगा है क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति सुधर गई है, साथ ही जो असंख्य फौजें रावी गई उनको भी गेहूँ पर ही रक्खा गया इस कारण गेहूँ की कमी पड़ गई। सरकार ने इस सम्बन्ध में विज्ञप्ति निकाली है उसके अनुसार चावल और गेहूँ की उत्पत्ति और उसकी आवश्यकता इस प्रकार है :- .: चावल (लाख टनों में) प्रान्त श्रावश्यकता कमी या वचत या + बंगाल .१०२.१ . सिंघ उड़ीसा मध्यपान्त: १२१ . २०३ संयुक्तप्रान्त: १५.८:33.२३:१.,., बम्बई ७.२ . उत्पत्ति + १३.४ . ७१