पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५१२

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उधोग-धंधे

. उद्योग-धंधे कमी है और कपड़े के खपत के क्षेत्रों से बम्बई दूर पड़ता है। इसके विपरीत अहमदाबाद, नागपूर इत्य दि केन्द्रों में व्यय कम है। मजदूरी सस्ती है तथा 'वे कपड़े की संरता के क्षेत्र के बीच में हैं। ऊपर दिये हुए कारणों से बम्बई तपा अन्य केन्द्रों में प्रतिस्पर्दा उठ खड़ी हुई है और बम्बई की अपेक्षा पन्य केन्द्रों को सुविधाये अधिक हैं। यही कारण है कि बम्बई की 'मिलें मंढ़िया कपड़े बनाने का विशेष प्रयत्न कर रही हैं। ..... .. बम्बई और अहमदाबाद सूती कपड़े के प्रमुख केन्द्र हैं। भारतवर्ष में सूती कपड़े की जितनी मिले हैं उनकी संगभग बांधी इन दो श्रौद्योगिक केन्द्रों में है बम्बई और अहमदावाद की मिले देश का लगभग प्राधा सूत और दो तिहाई कपड़ी उत्पन्न करती हैं। इन दो केन्द्रों के अंतिरिक्त शोलापूर, नागपुर, कलकत्ता, कानपुर, कोयमबूटर मंदरास भी सूनी कपड़े में महत्वपूर्ण केन्द्र हैं। इनके अतिरिक्त इदौर व्यावर, हाथरस, तथा अन्य स्थानों पर जहाँ कपास' उत्पन्न होती है सूनी कपड़े के केन्द्र स्थापित हो गये हैं। सिंधपूर वीरमगांव० कादी अंजर कालोल... अहमदाबाद मंदिपाद - पदमाद जामनगर वांकानेर राजकोट पोरबंदर भावनगर -महवा सूरत. नवासारी विलमोरिया- भारतवर्ष में मिले जो सूत तैयार करती है वह बहुत मोटा होता है। भारत का अधिकांश सूत ३० नम्बर से कम का होता है। नम्बर से ऊपर का सूत तो बहुत पोड़ा. उत्पन्न होता है। इसको मुख्य कारण यह है कि भारतवर्ष में अच्छी और लम्बे फूल वाली कपास उत्पन्न नहीं होती। जो बढ़िया लम्बे फूल वाली कपास भारतवर्ष में उत्पन्न होती है उससे ३० से ४० नम्बर तक का सूत तैयार हो सकता है इससे अधिक का नहीं। पंजाब