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आर्थिक भूगोल

५२२ आर्षिक भूगोल अध्ययन करे तथा कर्षे इत्यादि की उन्नति का प्रयत्न करे तो यह धंधा विशेष उन्नति कर सकता है। हाथ कईं के धंधे के अतिरिक्त पंजाब, काश्मीर तथा संयुक्तप्रान्त में गलीचे और कम्बल का धधा महत्वपूर्ण है। काश्मीर के गलीचे विदेशों को भेजे जाते हैं। किन्तु अब धंधे की दशा अच्छी नहीं है. क्योंकि इस धंधे को . मिलों द्वारा बने हुए गलीचों का मुकाबला करना पड़ता है । हाथ से बने हुये गर्मचे अधिक मूल्य के होते हैं इस कारण उनकी मांग कम हो रही है । कम्बल का धन्धा संयुक्तप्रान्त में मिरजापुर, राजपूताना, तथा पंजाब में बहुत प्रचलित है। इन धन्धों के अतिरिक्त पीतल के बर्तन, चमड़े की चीजें, लकड़ी, तेल पेरना, कुम्हारी, लुहारी, रस्सी बनाना इत्यादि मुख्य कुटीर धंधे हैं । भारतवर्ष में कुटीर ध-वों का विशेष महत्व है। ग्राम उद्योग संघ इस घोर विशेष प्रयान कर रहा है। इसके अतिरिक्त प्रान्तीय सरकारें भी कुटीर धन्धों को प्रोत्साहन दे रही हैं। भारत में कुछ नवीन धंधे भारत में युद्ध काल में कुछ नवीन धधों का प्रारम्भ हुआ है। जिनमें नीचे लिखे मुख्य हैं:- भारत का समुद्रीय और तटीय व्यापार बहुत अधिक है। भारत का समुद्रीय व्यापार २३. करोड़ टन और यात्रियों की संख्या . समुद्री जहाज़ २ लाख पचास हजार के लगभग है। तटीय व्यापार बनाने का धंधा ७० लाख टन है और यात्रियों की संख्या २० लाख है। इसका मूल्य ४ अरब रुपये के लगभग है । अतएव "इस बड़े व्यापार के लिए देश की नाविक शक्ति को बढ़ाना आवश्यक है । 'अभीतक विदेशी समुद्री जहाज़ ही भारत के व्यापार को करते हैं. 1. अभी तक भारतीय जहाज़ केवल २ प्रतिशत समुद्रीय व्यापार और २१ प्रतिशत तटीय व्यापार को करते हैं और देश में केवल ६३ जहाज़ हैं। अभी तक कलकत्ता और विजगापट्टम में केवल नावें बनाई जाती थीं और जहाजों की मरम्मत होती थी किन्तु अभी हाल में सिंधिया स्टीम नैवीगे- शन कंपनी ने विजगापट्टम में जहाज़ बनाने का धंधा प्रारम्भ किया है और पहला जहाज़ बन कर तैयार हो गया है। विजगापट्टम बंदरगाह में पानी गहरा है इस कारण वहाँ बड़े जहाज़ बनाये जा सकते हैं। तातानगर ५५० मील है और बी• यन पार से विजगापट्टम जुड़ा है अस्तु स्टील मिलने की सुविधा है छोटा नागपूर से आवश्यक लकड़ी मिल सकती है और गोडवाना 1. !