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आर्थिक भूगोल

प्राधिक भूगोल -- - अतिरिक्त.R. K. R पर शवकर, हिमालय की लकड़ी तथा अनाज की ट्रैफिक बहुत है। B. N. R. कलकत्ते को नागपूर तथा मदरास से जोड़ती है। नागपूर पर यह G. I. P. से मिली हुई है। इस प्रकार इसके द्वारा कलकत्ता और बम्बई के बंदरगाह एक दूसरे से सम्बंधित हैं । वाल्टेर पर यह M. & M. S. R. से मिलती है। B. N. R. मरिया की खानों को तथा टाटा कंपनी की लोहे की खानों को जोड़ती है। यह रेलवे पहाड़ी और ऊबड़-खाबड़ प्रदेश में से होकर जाती है जहां पावादी घनी नहीं है। प्रायद्वीप में रेलवे लाइनें कम हैं। इस भाग में धरातल पथरीला और ऊबड़-खाबड़ है । कहीं कहीं पहाड़ियाँ मार्ग में आ गई हैं जिन्हें सुरंगें बना कर पार किया गया है। साथ ही इस भाग में आबादी उतनी घनी नहीं है जितनी कि गंगा की घाटी में है । यहाँ उतनी पैदावार भी नहीं है। धरातल इतना अधिक ऊँचा-नोचा है कि G I. P. में बहुत से स्थानों पर दो ऍजिन लगाने पड़ते हैं । इन कारणों से प्रायद्वीप में रेलवे बनाना उत्तर की अपेक्षा अधिक व्यय साध्य है। कहीं कहीं रेलवे लाइनों को किसी पहाड़ को अथवा गार को बचाने के लिए बहुत चक्कर काट कर जाना पड़ता है। और कहीं कहीं पुल बनाकर इन खाइयों को पार करना पड़ता है। प्रायद्वीप में G. I. P. सबसे महत्त्वपूर्ण रेलवे लाइन है। यह प्रायद्वीप में फैली हुई है। मध्यप्रान्त, मध्य भारत. दक्षिण पश्चिम राजपताना और प्रायद्वीप का अधिकांश भाग इन लाइन पर ही निर्भर है । यह बम्बई और मदरास, बम्बई और देहली, को जोड़ती है। यद्यपि यह रेल कम घने श्राबाद वाले प्रदेश में से होकर जाती है फिर भी अकेली लाइन होने के कारण इसका बहुत महत्व है । यह उत्तर भारत को बम्बई के. बन्दरगाह से जोड़तो है और भारत के कपास उत्पन्न करने वाले भाग की मुख्य रेल है। कपास के अतिरिक्त यह तिलहन, अनाज, सन, खनिज पदार्थ, शक्कर, तम्बाकू और लकड़ी बम्बई की ओर ले जाती है। यह भी राज्य की रेलवे है। B. B. & C. I. R. भी बहुत लम्बी रेल . है । राजपूताना, मालवा और गुजरात में फैली हुई है। यह राजपताना, मालवा और गुजरात को बम्बई से जोड़ती है । इसके अतिरिक्त यह देहली संयुक्त प्रान्त के पश्चिमी जिलों को भी जोड़ती है । नमक, कपास, अनाज, लकड़ी, अफीम, ऊन और लकड़ी की ट्रैफिक इसके द्वारा होती है। M. & S. M. R. प्रायद्वीप के दक्षिण भाग में फैली हुई है। यह G. I. P. से रायचूर पर और B. N. R. से वाल्टेर पर मिलती है। यह . ,