पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५६८

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भारत का व्यापार

भारत का व्यापार . श्रौद्योगिक केन्द्र भी हैं अतएव उनका प्रमुख व्यापारिक केन्द्र बन जाना स्वा- भाविक भी पा । फिर बंदरगाहों से देश के व्यापार-मार्ग विशेषकर रेलवे लाइनें जुड़ी हैं। मीतरी प्रदेश के व्यापारिक केन्द्र भिन्न भिन्न कारणों से उन्नति कर गये हैं। कानपुर, अहमदाबाद, देहली, शोलापूर रेलवे जंकशन होने के अतिरिक्त ऐसे उपजाऊ और धने प्रदेशों के बीच में हैं कि उनका व्यापारिक केन्द्र बन जाना स्वाभाविक ही था। इन केन्द्रों में उद्योग धंधों के साथ ही बड़ी बड़ी मंडियाँ स्थापित हो गई हैं और तैयार माल को समीपवर्ती केन्द्रों में भेजने की यहाँ से विशेष सुविधा है। उदाहरण के लिए उत्तर भारत में देहली कपड़ा, बिसातखाने तथा अन्य वस्तुओं का वितरण केन्द्र ( Distri- buting centre) बन गया है। कुछ केन्द्रों का महत्त्व राजनैतिक भी है। देहली, हैदराबाद, लखनऊ, जयपूर, ग्वालियर राजधानी होने के कारण भी महत्वपूर्ण हैं । फिर जहाँ गमनागमन की सुविधा हो और जनसंख्या अधिक हो वह स्थान व्यापारिक केन्द्र तो बन ही जाता है। इन प्रमुख केन्द्रों के अतिरिक्त भारतवर्ष में छोटी बड़ी मंडियां बहुत हैं जिनमें खेती की पैदावार गांवों से आती है। गमानागमन के साधनों का अभाव, छोटे छोटे खेतों पर खेती का चलन, खेती की पैदावार की बिक्री का कोई समुचित प्रबन्ध न होने के कारण ये मंडियों और पैंठे महत्वपूर्ण हैं। किसान अपनी फसल को इन्हीं मंडियों में लाता है अभ्यास के प्रश्न १-भारतवर्ष के विदेशी व्यापार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। २-करांची से कलकत्ता और बम्बई बन्दरगाहों का व्यापार क्यों अधिक है। ३-भारत के निर्यात ( Export ) व्यापार को मुख्य वस्तुएँ कौन सी हैं और वे कहां जाती हैं। ४-भारत के अायात व्यापार ( Imports ) को मुख्य वस्तुएँ क्या हैं और वे कहाँ से आती हैं। ५-कलकचा, बम्बई और विज़गापट्टम बन्दरगाह की स्थिति और उनके व्यापार का संक्षित वर्णन कीजिए। 4