आर्थिक भूगोल . वायु की इन विरोधी प्रवृत्तियों के कारण ३०° उत्तर तथा ३०° या ३५० दक्षिणी अक्षांश रेखाओं के पास वायु बहुत अधिक इकट्ठी हो जाती है और अधिक दबाव ( High pressure ) के दो प्रदेश बन जाते हैं। जब उत्तर तथा दक्षिण ध्रुवों से हवा चक्कर काट कर विषुवत् रेखा ( Equator ) की ओर लौटती है तो ५०° तथा ६० अक्षांश रेखाओं ( Latitudes ) के बीच में बहुत कम हवा छोड़ती हैं, इस कारण वहाँ कम दबाव ( Low pressure ) का प्रदेश बन जाता है। अतएव उत्तरी गोलार्द्ध ( North Hemisphere ) में इस अधिक दबाव वाले प्रदेश से स्थायी वायु ( Permanent winds ) विषुवत् रेखा ( Equator) तथा उत्तरी ध्रुव ( North pole ) की ओर बहती हैं और दक्षिणी गोलार्द्ध में इस प्रदेश से स्थायी हवायें विषुवत् रेखा तथा दक्षिणी ध्रुव की और बहती हैं। इन स्थायी हवाओं ( Permanent winds) का रुख पृथ्वी के घूमने के कारण बदल जाता है। उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर से जो हवा विपुवत् रेखा की ओर चलती है वह दहिनी ओर को विचलित हो जाती है और दक्षिणी गोलार्द्ध में जो हवा विषुवत् रेखा की ओर चलती है वह बाँये हाथ की ओर विचलित हो जाती है। अतएव उत्तर में यह हवा उत्तर पूर्वी हवा के रूप में बहती है और दक्षिण में यह दक्षिण-पूर्वी हवा बन जाती है। अतएव इन स्थायी ( Permanent ) हवाओं को उत्तर पूर्वी ( North-East ) तथा दक्षिण पूर्वी (Scuth-East ) ट्रेड हवाये कहते हैं। जो हवायें अधिक दवाब के प्रदेश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव की ओर बहती हैं वे क्रमशः दक्षिणी पश्चिमी (South-resterly) तथा उत्तरी पश्चिमी (North-westerly ) हवायें कहलती हैं। विपुवत् रेखा ( Equator ) के प्रदेश में गरमी बहुत अधिक होने के कारण वहाँ की हवा फैलकर हल्की हो जाती है और ऊपर उठती है। उसका स्थान उत्तर तथा दक्षिण से आने चाली हवायें ले लेती हैं। अतएव इस क्षेत्र में हवायें सीधी ऊपर की ओर चलती हैं और यहाँ अपेक्षाकृत हवाओं का अधिक परिवर्तन नहीं होता। यह क्षेत्र शान्त रहता है। यहाँ वो बहुत होती है। दिन में स्थल ( Land) समुद्र की अपेक्षा जल्दी गर्म हो जाता है इसका परिणाम यह होता है कि स्थल की वायु भी सामयिक घायु अधिक गरम हो जाती है। गर्म होने से वायु फैल ( Periodical जाती है और हल्की हो जाती है। इस कारण समद्र winds) पर से आई हुई ठंडी तथा भारी वायु स्थल की वायु