पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५७६

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भारत की जनसंख्या

भारत की जनसंख्या १६३१ को जनसंख्या . राज्य १६४१ की जनसंख्या मैसूर ७,३२६,०००. सीमाप्रान्त के राज्य २,३,७८००० उड़ीसा के राज्य ३,०२५,००० पंजाब के राज्य ५,४५६,००० पंजाब के पहाड़ी राज्य १,०६४,००० राजपूताना १३,६७०,००० शिक्किम १२२००० ट्रायकोर ६,०७०,००० संयुक्तप्रान्त के राज्य ६२८,००० पश्चिमी भारत के राज्य ४ ४.६०१,००० ६,५५७,००० २२५६,००० २६८३,००० ४,४६७,००० २६०,००० ११,५७१,००० ११०,००० ५,०६६,००० ४,२२२,००० जबसे भारत में जनसंख्या की गणना हुई है तब से प्रत्येक दशाब्द में जनसंख्या बढ़ जाती है। इससे यह तो स्पष्ट है कि जनसंख्या की भारत की जनसंख्या बढ़ रही है। भारत में जन्मसंख्या भविष्य में बढ़वार ३३ से ३६ प्रति हजार है जो कि अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है । यही दशा मृत्यु संख्या की है। प्रति हजार व्यक्तियों के पीछे २२ या २३ मर जाते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि भारत को जनसंख्या की दशा बुरी है। अधिक बच्चों का उत्पन्न होना और अधिक व्यक्तियों का मरना अधिक रोगों और नीचे रहन सहन के दजें का प्रमाण है । ऐसा अनुमान किया जाता है कि १५६० में भारत में दस करोड़ मनुष्य निवास करते थे (आइने अकबरी के अनुसार ) और अब इस देश की जनसंख्या लगभग ४० करोड़ है। जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के कारण परन्तु धनोत्पत्ति उसी अनुपात में अधिक न होने के कारण प्रति व्यक्ति पीछे वार्षिक आय बहुत कम है नेशनल प्लैनिंग कमेटी ने प्रति व्यक्ति की आय ३० रु. वार्षिक कूती थी और सर्वश्री शिराज महोदय ने ६३ रु० कूती है। जो भी हो यह तो इससे सिद्ध होता ही है कि भारत संसार का अत्यन्त निर्धत देश है। यद्यपि प्रकृति ने उसे धनी बनाया है। बात यह है कि हमने प्रकृति की देन का पूरा पूरा उपयोग नहीं किया है। यदि वैज्ञानिक ढंग से गहरी खेती ( Intensive cultivatlion ) की जावे और उद्योग-धंधों को तेजो से स्थापना हो तो भारतवर्ष शीघ्र ही एक महान समृद्धिशाली राष्ट्र बन सकता है।