पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५८

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जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति

जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति . स्थलीय तथा को ऊपर उठा देती है। समुद्र से वायु चलने का यही समुद्रीय पवन कारण है। रात्रि के समय स्थल ( Land ) समुद्र Land and Sea की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से ठंडा हो जाता है और _breezes ) स्थल की वायु समुद्रीय वायु की अपेक्षा अधिक ठंडी हो जाती है। इसका फल यह होता है कि स्थल से ठंडी और भारी वायु समुद्र की ओर चलती है। इसको स्थल की वायु कहते हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मियों की ऋतु में सबसे अधिक गर्मी का प्रदेश विषुवत् रेखा के उत्तर की ओर पहुँच जाता है। विशेष वर्षा कालीन पाय कर मध्य एशिया का विशाल पठार . बहुत गर्म हो ( Monsoon) जाता है और वहाँ का दबाव ( Pressure ) बहुत कम हो जाता है । अतएव प्रशान्त महासागर (Pacific Ocenn ) तथा हिन्द महासागर ( Indian Ocean ) से ठंडी और भारी हवा उसकी ओर बहती है। उत्तर पूर्वी ट्रेड हवा जो इस समय साधारणतः हिन्द महासागर पर बहती है बिलकुल दब जाती है, और दक्षिण पूर्वीय ट्रेड हवा विषुवत् रेखा को पार करके दक्षिण-पश्चिमी मानसून के रूप में चलती है। चीन में समुद्र दक्षिण-पूर्व की ओर है। इस कारण चीन पर यह हवा दक्षिण-पूर्वी मानसून के रूप में बहती है। भारतवर्ष, चीन, जापान, पश्चिमोत्तरीय आस्ट्रेलिया आदि मुख्य वर्षा कालीन वायु ( Monsoon ) के देश हैं। .. ऊँचे-ऊँचे पर्वत और मरुस्पलादि के कारण विशेष वायु उत्पन्न हो ____ जाती हैं। इनमें कुछ बहुत ही गर्म होती हैं । जो स्थानीय वायु मरुभूमियों से चलती हैं वे बहुत गरम और जो पहाड़ों . ( Local अथवा से चलती हैं वे ठंडी होती हैं। । Variable . inds) वर्षा के लिए दो बातों की आवश्यकता है। पहले तो वायु में भाप होनी चाहिए । दूसरे कोई ऐसा साधन होना चाहिए वर्षा कि जिसके द्वारा वायु ठंडी हो जाय और द्रवीभूत ( Rainfull ) · होकर पानी की वर्षा कर दे । वायु में वाष्प थोड़ी बहुत रहती हा हैं, किन्तु एक निश्चित मात्रा से अधिक नहीं रह सकती। जितनी ही गरमी अधिक होगी उतनी ही कि