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आर्थिक भूगोल

आर्थिक भूगोग समुद्र अथवा झील तक जाने और जाल डालने मात्र से ही उसको भोजन मिल जाता है। यदि सावधानी से मछलियों को पकड़ा जावे तो मछलिया कभी कम नहीं हो सकती क्योंकि मछलियों की बढ़वार इतनी तेजी से होती है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। साधारण समुद्री मछली एक बार में लाखों अंडे देती है, कुछ मछलियाँ तो ऐसी हैं जो पचास लाख से २ करोड़ तक अडे एक साथ देती हैं। ऐसी दशा में ,यदि मछलियों के ' पकड़ने में लापरवाही न की जावे तो मछलियां भोजन का एक ऐसा अटूट भंडार हैं जो कभी भी चुक नहीं सकता। किन्तु मनुष्य ने जहां प्रकृति की देन को अन्य दिशाओं में नष्ट करने में संकोच नहीं किया वहाँ मछलियों को भी उसने नष्ट करने में कसर नहीं की। इसका परिणाम यह हुआ कि छिछले समुद्र तथा नदियों के मुहानों के समीप मछलियां कम होती जा रही हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की झीलों, नदियों तथा छिछले समुद्र की मछलियां बहुत तेजी से घटती जा रही हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के अटलांटिक समुद्रतट पर सालमन (Salmon ) बहुत अधिक मिलती थी किन्तु अब वह बिलकुल समाप्त हो गई। मछलियों को नष्ट करने में वे सब बातें सहायक होती हैं जो पानी को गंदा करती हैं । जहाज, कारखाने, कोयले की खाने, केमिकल वर्क्स, तथा औद्योगिक केन्द्र सभी पानी को गंदा करते रहते हैं, और इनसे मछलियों की बढ़वार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मछलियों के कम होने का दूसरा कारण है पकड़ने वालों की लापरवाही और पकड़ने का ढंग वैज्ञानिक न होना । दुर्भाग्यवश मनुष्य ने मछली को सुरक्षित रखने का प्रयत्न नहीं किया और मछलियां तेजी से घटती गई । अब सभी देशों में उनको कम होने से रोकने का प्रयत्न किया जा रहा है। समुद्र में अनन्त सम्पत्ति भरी है परन्तु अभी तक मनुष्य ने उसका पूरा- पूरा उपयोग नहीं किया है। समुद्र के पानी में अत्यन्त सूक्ष्म असंख्य वनस्पति के अंश Vegetable Plankton) होते हैं। इन्हीं वनस्पति के अंशों को खाकर एक प्रकार का अत्यन्त सूक्ष्म जीवित अंश ( Plankton ) जीवित रहता है। यह सूक्ष्म जीवित अंश भी समुद्र के पानी में असंख्य होते हैं। इनको छोटी-छोटी मछलियां खाती हैं और बड़ी मछलियाँ छोटी मछलिया को खाकर रहती है। किन्तु वास्तव में समुद्र के अन्दर रहने वाले जीवों का जीवन प्राधार वे सूक्ष्म वनस्पति के अंश ( Vegetable