पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१००

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बेगमबारहरी " दोना दोनो सय करना चाहता हूँ। एक के मैदान में एक दोवीन महीयन्ते शामादो" "वावर, हमारी जमीन हम पत्ताद करती है और इस प्रमर में सन दोनों बदमलों की सम रेना चाहती है। बस, म अमीर नवापत प्रेत हमारे हुर में मेष दो और गुदमास्मीनान भाराम को"..- साधापी मे मुस्कुराकर पूता मियो की मोर देखा तामियां बोपामारी विनोद बस्तु पा पार अपने को शाबारी के प्रेमिरों में समझता पा, व तसे पच नहीं मा। उसम बीरे से पा- “मा हुमूर को एक पाहा अंगूरी शराब प्र मी पेशक विकी दुर शाबादी हर दौन km "नन, पर पाबा सा मि, ठम्मरे हब से दम नोए प्रमाणे पूसा दुराहो पा । रतने प्मा शादी में पेश किया। और गारबादी ने पामर राय में लेकर परे से उसे मरिसा कि सम वामीक हो। विषयमा मियाँ उस प्रानन्ददायक सोहम छोर ठे। और बार अमीर नबाबत तगम भस्म सुना दिया। बेगम से धीरे-धीरे पासा साडी निता और मसनद पर हुदाई। इस पक्ष पर मौव में थी और अच्छे-अचे विचार समको माननिय रहेपे। पाप ही बी, पाशिकन, एक रसव हुए और प्राशिको भी ग्रामर है। एली समर नाटकों ने ग्राम ग्राहकाची नियमित और एवम् शेर पारकरी सामने बैठ गया। स्वपि र मगर पदर और प्रपर विपरीत का, मेक्नि पार मुहम्मत के मामलों में अप्रशिक्षा मी है।