पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११४

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दरबारे तिसत 10 पर नर्म ममरे और श्रमती प्रशीन बि पे बिन पर पैर पाठेही पर राप भर पसबावा था। मीरमहा और उसके बेटे की प्रवाई में सपना नी मेरी। रतलारी मोरमता ने पावर टे समेत शादी पौषट चूमी पौर नए को वापसा एकमाल नगा कि विरामद एकनास रुपये थी। बादणहमे नीची नब से मीरनुमक्षा ग्रोर उसके मेरे पार रेखा, फिर मार रा मैं कुछमा। रारा हर पल रहुर मरबीसी पोयार पाने या मोर प्रबर में यह पाव गम्भीर मा पर उसके माप पर चिन्ता पौर प्रताप करेनाएँ पर होगी। अमीर मौरनुमत्ता और उसका पेय प्रमीनों शारी माया मारपीधे रबर सोहो गए । बारा मे उनमोर से भीमे स्वर में भा- 'ममीर मीरजमाता, शुए भामद। हम तुमारी पारी और वानरागे से बहुत दुख है।" मीरममा मे सर सलाम किया और पप धाये मदर पा-मापनार, गुवाम इमेशा से वस्तफावार सादिम या प्रहाय रोणार "हमें बनी, अमीर मीग्गुमला, तुम्हारे उस लावानीसार प नाम इममे भोनूर पथाtm पर दरपाये की चपन से प उठे-मान प्रम- परामाव-यमाव- मीरममा में फिर साम किया और बीम किन्तु द स्वर पुर, मानसा यम पर बर्ते ऐसे-ऐसे मनगिनत पारपत