पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११५

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प्रासमबीर और सपा करने में प्रा तमाम्मुश न होना चाहिए । बसिया वो या तक करने की पूरी करवा कर उस बक पकन पर पोयापी करनी चाहिए बार किस्पाइमारी तक का मक दस्ते मुगतिमा में न पा वाप" पापणारे पोरे पर मुस्कुराहर पाई, ठनोंने मा-"अमीर मीरामना, हम दगारी मुफीद शाह पर अमल करने पर प्रामारा भोर होणे वा सिवार प्रवा फमति ।। हम पाते है किरन पर एक और मेगी बाप और उसकी मान बहे और बाप । साप ही मारी मदद नवापत लो, महामो, उनम मेय और सनातनों साथ हैं।" मीरजुमला ने सिर मुभरा और भा- यह मर मिटने वाला सादिम बसयेपरम इस मुहिम के लिए बार भारणार ने खबर उपर के नर्म स्वर में पा-"प्रमीर मोरडमला, इसमें कुछ शहरोयी," पर कार उतने राय की पोर देना। दाय मेकले राम्दों में बरा उन सर सेमा-विठसे चिलमन में बैठी बेगम मी मुनये, "मीर साहेब, पीनी य दो या कित मुहिम में प्रौपायेव नहीं गरीक होगा, न उसका मापसे ऊपमाला मेगा । न प्राप उससे मिल सगे, न पा रोलवामाद ने कोरर बाहर पर उपरभीपाडेगा । मीरउमदा मे चेहरे पर मई मात्र प्रसन पर पम्मीरतापूर्वक भा-"दूसरी पर्व "मापके वामपन्थे, रिसेदार और प्रापत्र पेय प्रमीनों प्रागरे में रहेंगे और पासी सबाने से उनसी दिन बावणा" मीतुमसा के पोरे पर मतम्तोष मार प्रश्न हुए। उसने समयारीमोर देखा। बाएसरमा- 1