पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११७

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पालमगीर बिसेदार पाने के भरण वा पापा के सामने प्रामे गे पिय गई थी। देशमुक मारयाद मे अपनी सी पेये उसे एक बिपारेर रममास में सवा नियमम बफर प्रसी उसे का पादशा के उत्त परमपूर्वमरे में के गई, पिवमें मन- गिनत सवियों का सतीत्व राम बाबुका पा । मोसीमासी हरी राम में बैस पर गई। और वहाँ उसने अपने पापणार के गुरु में समर प्रमहामावस्था में पात्र को धमे प्रे बहुत पाप पैर मारे, पसी रपयई, पर बा अपने को बचा न थी। पारगाह मे सतभ सोल मंग सदिया। फिर वापरत ती मैंट और पपने देकर पापस मेघदी गई। परम्स, 6 मुगल परय में पितरकी और अमीरीचौरते होती पान थी। उसमे पर प्राकर सब अपने पति से परिण और सान्य-पीना दपा बम पदाना भी दो रिय। इस पटना को भाव १५ दिन पीव पुर। र कषही खमाला योति बिस्तर पर पड़ी थी। तमाम पर भर में उदासी बाई यो पावस समय पा। उसले मेत्रों में मरने प्रदप्राया। उपग पात उठन प्णय पति बैठा पा दोनो परोसे । अक्सि प्रपर एकठोर किस करने माप ठतरुवीर मुल पर पा, उसी प्रभार रहा है। उस पीर पुष मीर के मुख पर मी था। उपमे प्रेमठा से पानीमा अपमैप में पाम कर पम्मित स्र घे पापा, प्रफ्ना पर सौपनाक इराश धेरो, भीती पो-मेरी नस में म पाण। मैं उ8 बासिम मारणार से ऐसा बदला गा कि दुनिया रेपी " पाव पूरी कर-सवे उस प्रोतों से भाग निरसने लगी और मन अपने सगा। बेगम ने पति का दोनोपों में लेकर अपनी माती पर रक्षा पर इषरेर पुपचाप पालन किए पड़ी थी। फिर उसमे धीर