पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१२९

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मालमगीर पमाचान पुरमा-चौर मुगल सेना मेरा-माएँ पेता वाव रिश रिवीमापुर की सेना के पैर उमा गए । या माय बड़ी । मागठी सेना पर पीछे से भारी मार पड़ी। शारीही सना नार गली गई। बापुर्य पावभराम, गोसा, बार, ठोप, लि, बोडे, सामाम दोने वाले पानपर धादि वाग सामान घर लिया । उपर मीरामसा का प्रत्येष घस पापा। विरार दिखावर, पनिपानिपासी एक की गुलाम या, की वीरता से मीरसुमना ध मुरिमा र गा पा । अश्व में यही सेना मे बाई पार र विकी एक पूर्व पर प्रफ्ना सम्पर सिपा मोर अम्वता दिसावर मे विले पावि भोरसवेनसार दी। उसे पुररस्व बिमा गय तपाबीमापुर कोरबामे दिया गया । स्वागीध पवन होने पर बीगापुर के मुसवान मे सन्धि की गाव जमाई। रिमी में उतरे प्रतिनिधि पहुंचे। उसोने दाग धनुपाह माप्त कर लिया और प्रादिया ने पीर, सम्पाणी और परेपटा के कि भोर उनके पात-पास प्र भूमाग मुगहोंगरे बिना। इसके प्रतिरिकबादिपूर्ति स्वरूप एक परोक पपा भी दिया। शारों ने प्रोवो तुम्त नौट पाने की भागदी। मीरमहा से मिटर भौरदर औराबाद सौर गपा मोर मौरतुमक्षा में अपनी समूरी मुगल सेना ठहित पापी दुप में अपनी चपनी डाली।

२३

मुगल सस्व गमग इसी समय पारपार दिनी में एकाएक बीमार पर गय। पारी म उसे भारम्प रने में समय नही हुए | उस बीमारी पदवी दी गई। निम हगने पामा दरबार भी बम हो गया, और झपेने में बटरपर्यन ऐना भी पार हो गया । गारी हीमों की मुयस पर