पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३१

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प्रासमगीर बड़ी सेवा की पी। शाहाँ प्राबीपन से निपयो मन। उसने रोमराम्या पर ही एकलास दरबार भिया और पर एिगाधी भोग पोचो अमीरों ने मुहर अनी अंतिम का कर किये अब पायरी पदशाह मान कर उसी भाग पाहन कर। परन्तु दाय मे यरयाणेप नही रिसा-पिता के नाम पर ही शासन कार्य प्रवाहा। उसने मीरतुमनायो प्रधान मन्त्री पद से वस्त कर दिया और महावता पारि सेनापतियों को सेना परिव दक्षिय से सौर प्राने की माएँ प्रचारित कर दी गयया पर वारशारदुरी हरी बार सुनने समा। सब से पहिले दरवान गुमा ने, पो बगान प सूबेदार मा-अपने प्रे वारणा घोषित कर दिया, और मेगपार फोम मरती करना प्रारम पर दिया। उसने र प्रान्त के शहरों और नमीदारों से घर-पीटर पावसा पन एपर सिमा पा। इससे बापत बार एक माय सेना प्र अधिनाया बन गया, भोर उम्ने घागरे प्रोर ष पोश दिया । उसने अपने कार में पापात प्रसिर करपी शिदाय मे भाव याद पर देकर मार गया, इसलिए हम वसले मार और हरपते नाशाइस्ता प्रपामा मे और तम्ते सावनवणे, पो लाली , अल्त अंगे। उसे वरपर के शिया ईरानी प्रमी प्रभाव मरवा पा, पिने अपने पक्ष में करने को उसमे पिया धर्मप्र पाना पहिना भा-पोर पा पानी भी मोति तुमया पा। पदिए और गुजरात में पोरगजेब और मुराद मे भी दी किया। मोरंगको परि के ही पौषमा ठाया। उसने तुरन्त ही अपनी वैचारिक भारम्म करी। पर गोमता से सपाना पोर पो मा परमेकमा । पाये भाई अपने अपने मित्रों और सहापग्रेस परने कगे। दरबार में नमी के दोस्त दुरमन थे, परन्तु परिस्थिति जीपी विदिती प्रेम प्रपने पोस्ट पर मरोण पा म रमन पर ।