पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३४

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पोरसव धुन परे मित्र परस्पर मिशकर नए-नए मन्दे गाँठ रहे पेशवने में दो बादशाह ने मीतुमक्षाको रिस्सी परबारे ग्राही में पला मेमा। प्रम मोरंगबेरक्या करे। बा औरंगाबाद में ठानेकपासणे रालिसी के समाचार मैंगा मा पा। वरपर में मीलमता कीयो प्रतिपाई पीर साहुन दुसवा और पतुर मीरमहा ने पित बोधन मे नारा माल पर बदाई भने पदा परत दिपा पापा मी पर मन पुजा पा प्रबनात प्रतीपा में पाकि मीरजुमक्षा मोदी एक सुगठित सेना और समदा वोपनानार रविण में भापे कोपा मी अपमे मनने पूरे करे। मोमता हो महीरा पा मा उसके पाते ही दोनों मे भरपट बीदर और प्रमानी प्रदुर्ग मगर बीमापुर गम को प्राप्त कर दिया। मा मीरपला अपापी दुर्ग में हाही सेना उरिव म्पपरिपत मोमा भनी मापी पोषना बनाने औरंगापारमा ठा। प्रमी औरंगाबाद पूरा प्रामाद न हो पाया था। शाही मानते चारे । पयों को पार न सोपी हमाये मजदूर और कारीगर काम कर रोपे। बोबो बाबार देगरपिपास और शम्मागरिमा मार्ग माये मारेकरासाय गागा पा) भग्नी पारादरी में औरंगये। एक पयो पर नहुमा रमान सिसा पान ही तस्वीर रखी पी। तीन गुणाम पर राषिता। दिल्ली से एसबारी मेयमे में प्रवाषा में पाइप विप्रा सा होगा या कमी-कमी बाबा उठता और पाश्रम दोहदेवा भा! पार कर उवने मीर बामाको दाया। मीरवामा मादाम पर पुरचाप बमने पेठ गा। पौरपानेमा- 'माई पान, भाष पीठ पाव अभिप्राय से पहले C