पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३६

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मोराग प्रोरखने व सोपवा हुमा उठा और धीरे-मोरे भीवर पना गा। उसको र मोर कुरमान गयेर की पयो पर पड़ी सहपई। औरझमेव का हरम इस समय वीर शाहबारे के हरम में देखा वोन वेगमें वीर बादशा बेगम सिमरन भानू पी। फारस शाणार रमाईल साथी के छोरे पुष प्रौष शानियामकी मनरेगार मेरी पी। अब से गत वर्ष पूर्व सारिका रहयेरे साप भागर में भी पूमधाम से हुआ था। उस समप प्रौरतयेकी भामु वश उन्नीस पचौर रेगम की समापदी पी। प्रारम में दोनों पति पक्षियों में प्रेम सावरलु शीघ्र हो योनो में सिंप गई। बासर में परमो वीले समान श्री श्री पी और उसे अपने पारस रावय पा पमा पापा सदा अपने में मुगह से मेरे ममी पी। व समय तक इसकी धार सन्तान हो पुत्री थी। सबसे बड़ी पुत्रो दुन्निों पी शेस समय उन्नीस वर्ष की मममुषती थी। उसमें पिता पीवीय बुद्धि और पानी माडु सारिस्प-निपता की। (सी उप में उस पदने लिलमे व गहरा योग गया था और उसने अनेक पुष नाना पुरवकों की मात करने को निमुछर दिए थे, को निरमार उस पद परप नकारते रहते । उनम पवन यह अपने निम्न से देवी पी। बा लपं मी प्रचो विधाने सगी थी। माव की प्रबरमा में उसने कपन कठस्पर प्रपने पिता को मुनाफा हो पौरप्रजेब ने को धूमधाम से वध उला त्रिी में मनाया पा-मारी सेना राबत दी थी। इस प्रविरिण तीसार प्रवियों गरीमो माय बी। सामान्य भर में पन