पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१३७

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प्राहमबीर मनाया गया था पपा र पद से बेम्निमें परी कमी बड़ी पसित पी। हम नक्षाती, मरम, और सित भव विखने में प्रमीच दी। उन दिली भरमीरी लोग नस्वाती सिपने महोशिवार से थे। उरसे सिझमासिसा र वा पुरा माती पी। बरे होने पर उसने प्रती चौर भारतीनों भाषाओं में भारपमा। इसने अपना उपनाम 'मक रसाया नमेर भनी, सीवी समाय, सम्सबाली सखा, आप पाराबस्संग से परम्पानम् मेवी पी । उसका मन सूपी सिद्धान्तों पर टल गया था। या पिया की माँ विमार ममी और अपना सारा पेवन विहानों और भपियों में पुरमा बरने में कर देती थी। पोरदार घोर विसरत मानू पसरी बन्यान बीनवनि की। की उमय पर सामयिोरी थी। मागे महार समारशाह बेगम नाम से प्रसिद्ध हुई और पपिए में और मुहर बाद भी कोई सील पेक शारी गवपयने सारा श्रमपया देती की। पर एक पवित्र और रानोहा महिला थी। इनकी तीतरी सम्बार पनि पी को इस समय सास की थी। इसमरियर भागे बसर माग्यहीन राग के दूसरे पुष हिपर शिकअपमा पा। बौरी स्वान मर भाजम परमार पा~मि मापुस समयबार जीपी। पिचरस यम्स मा सगमा और ऐगिकी पी-मोर या हकीम उसी रेसमारहे। विशन मिलने पर मी त बेगम मौसमय यात पारवा पानसे मप मो साता था। औरतचा कीसरी देवम पम उम्निये भी, मो मावों में मवाच पाई नाम से मशहर भी। पर भरमीर के अन्तर्गव रावैरी पग पग रायू पीपी। पहाडी पपपूठ पराम में उगम काममा पास झम्मद अखवान और सुपमम दोनों