पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१४१

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मासमगार दूर पाठोपही पी "एक बात "भेन पाव" हुए रे मनने भी नहीं है। 'सुन तो "नगी।" "मापारी" "प्रया भन में " मुमरी पुपचाप पोरंगके कान के पास मुस गई और पर से उग्ध मुँ म लिया। "प्राइ, बात याबानेमन ।" "पही वो पाव "इसी पोच पी पी तुम!" "बीता "रिबर, म मुझे इवना प्यार करती हो?" "बाइप, मैं सोप्पार करती !" "रा", औरंगवेब सरगना नीति और परम पुतक्षा इस बचत पालिके सम्मुख प्रेम में विभोर होकर अपने को भूल गया । उसने बस र उसे छाती से लगा लिया। हीराबाई प्रा-"प्रपा एक पाव पवाएगा" "धेन-सी बात सितमगर " "मापणार होने पर भाप सीधे बाद रमे " भारी प्यारी, उमसे सिमे पाक में बरशार होना पाता है।" "मैं सुर भी शायदे, मैं किसी दिन तुमारी इस तस्वीर ने दूंगा । नरें पारगार बनना होगा।" "किसहिए।"