पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१४४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मण्ा उदय प्रा यहाँपय मयठो बम्मभूमि भी भौगोलिक दया पर भी रिचार बिसे। पमिमी पार और कम महानयर के बीच एक सपी चिन्तु सकसीबमीन हिस्ता पूरक पहा गा। इसमें चौगोहीम और ही अधिक और गोमानी व प्रदेश प्रवे। गोमा के दधिय में प्रदेश एक हो पाता है। प्रेषण में प्रपिक परतात होती है। मुश पैरापार पावत है। प्राम, रेता और मारिप बाग यहाँ बाव है।भार पार करने पर पूर्व दिशा में जगमग बीस मील चौसा भूलएर कोलम्मा चला गया है। वही 'मावत' पाता है। यह भूभाग ऊँगी नीची पारियों से परिपूम है। समवल स्पान गुत कम है। इससे भागे पूर्व में विद्या में पमिमी पाट की पारियों की ऊँचाई कम रोने समती, वहीं से 'रथ' मामा प्रदेशमा प्रारम्भ होता है। यह एकसम्मा-चौडा उपमा मैरानी मिट्टी मीरचौर जो दक्षिा मप माग में एक सामा। पासोग सीमे-सारे और परिभमी है। सोनाली शवाग में प्रम्प सम्म पतियों की अपेना मराठी में सामागिल मेवभाष कम पा। नाली और सोनाली रातान्पिो में रोत मराठों में मे, मोने काम की भेटता पर परिणी मेवा को उब बवाया। मराठा समाबी मापा और गति पचपि उन दिनों प्रविमित मे, पर उसमें एकता रे माव मे । ती मगठा मावि बोसमाती ताण दिवीप पाप में शिवानी ने गबनैतिर एसवा में परवीगन से परिपुर कर दिया। शिवानी सेना में मा और मगग सेनिकये। को समावही से सीधे, निफार, सप्पर और परिभमी । ग १४ी शवाम्दी में पर मुसलमानों ने रपिर मारत पिलर पर हिना और मराठों के प्रतिम दिगण भाभी व दो गया तब इस प्रदेश मोदामो घाटे-छोरेर मिर-मिप नामके नेतृत में संगठित हो गए। इन दो पर