पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५२

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पौरपोरया पक्षाने रिया में पा और उसे प्रग्ने बुरिना पर पूरा मता पानि या पुराम भरने पंगुल में पंहा क्षेगा। पहनी चाज्ञ प्रसी रात परेमे निध में प्रवेश कर दिया था। सारी इनिग होगी पी। परमा पुशापारा की से माने हो माल में प्रशा यस गाया। सूप तोच-समझकर उसने एक लव प्रपमे घोरे माई बारम्परा मुगसमय मिला, बोस समय गुपवरामि पा और भामरापद में या बा एवं उप्रायरे मौरने मार्ग पर पार परप्रकारा- "पारे मा, मने पुम्ला तर ती किवाय मे हमारे पालिए हुवर्गवार साधार यादगाँवर र गर महापौर सुर भारयाद बना पापवाभिए शाया गय मे तस्व हुसः और गालिद मोवारसा खेने के लिए एक मार्ग र सेकर हसी मोर । भाप को पार रिसाने की बात नहीं करे समानव मेहनत उगना मेरे प्रती मिपाव और विकसि पर लिसा सबक बलिदाय और एग निहारत सरगमा म इस जतनत के लिए कोशिश और कमरे में ति राना चिमनी रतर पाने में मुवति। मगर, पारे प्रती, भमरे सत्यवता और दायो से में विशाब रस्सरणार हम इस पोर साह से भाप मुचिता कामा गाविप समभवा निसिपही हिदाय शिफार मोठाको लाली पति सामान और काफिर होने की पा से विकृत बाय,