पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५८

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विधा ret सारबारे में सस दाबी का रविवदा दिया। उस दिन फिर पौर शिपार नही पा । शायदा अपने मीमों में लौर माया । दोनों बानपर उसके सामने लाए गए। फिर होमसर मे उतश्रीम गारवाया एक ते शिपरमार में रा! उसने सैनि, नीलगाय, भरने मैंमे, विपियों बन मादि बानबर मारे । मारों भावमी व साय हमर से उपर दोर-पूर करते फिरे । अन्त में एक समारापिपरमानन्द सूर रबर महमदाबाद और भाषा। ३१ मीरवाया से मुलाकात शिकार से मोठगे पर उसे पौरंगत मीरवाणा के माने अपना दी गपी । मोरपापा से मिलकर मुरार पावसामा । ससी बात पाविर-मामा की। और औरंगास-ससे । मीरा ने उसे मोरंग हर हा-मचारदिन से मापका इन्चमार कर या। मुमेरा अपलोड भाप से पामारोबा एक-एक जमा कीमती पाप अपना कहर एशिभर में पापा के पार उतने मोरगरीवरक से पीनबमोदी गुव पादैत्री। मा मनाप लव पद और सास रपए रेख पर या कुपा हो गया और बा समाने या विमानो हम मारणा हो ही गए । अपर प्रामदनी बावरी म यी, सेना भी उनके पास नहीं पी, पामीर मौके पर अपनी मागस्परीधा परेमा समय बाबा पा। इस परएको रख पायलमान और कप मममी थी। अब इस पर प्रति वायता मिसीए पह पास प्राणानित के मपा | उसने मयर ग्रामवार दमाम प्रमी