पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पर भोरपणे प्रकार और पैर्य वा पुषित समर्प परवा पा । उसने नए सिरे से बमीन प्रमोबस्त किया और मात गुपरी परस्पा स्पापित । इस प्रम में अगवान के मुर्शिद ही कान-बोम्पार से पानी सूबेदार प्रसीमन लाखाप ती माग पाकर भारत में बस गया पा-मोरगजेब की भारी मारव की। वही पियपण मा पुष रचिय में मोरंगबेच का मान था। इससे परिले दक्षिण में मानगुमारी श्री ई स्पानी व्यवस्था न पी। मीनप्रग-मसम विभागों में मॉरर उनकी सीमाएँ निमिव करना, वो का पेप मापना, प्रतिषीया रिसाब से मालगुवारी निर्धाखि मना, अपना मानगुबार और किसानों के बीच इस उपच परमारे प्रादि के-बापरे निमित करना इन भव बातों को भोरंगजेब मे पधिप में पारी किया । पहिले बाँध किसान एकल और एकबोदी से मनपाहीबमीन बोत-यो सेवा पा और प्रतिमरितार से राम्म पोहागरदेवा पा। मालगुजारी की दर मिा-मिल थी, को पातको केम्वानुवार होती थी। बिहान परवागाठार वर्ष प्रमाष और निरम्वर मुमलों के जप होते ते पुरों में पूरे पद हो चुके थे। वे घर-पार चोर भाग मए पे, गाँव बार पहे। वपन रोपए थे। पौरपये मे इस नप पार बोम हाकिमो की देखरेख में मनस्पित किया । म बगह पर अमीनो तथा ईमानदार पमारा भने पाचो बमीन नापमेवाहों-सेतों के रकबे प्रादि पैक सान्चोखा रकमेवपा सेवीचमीनो पहारी भूमि से तमा नदी-नालों से पूपक निमित करने के लिए उपमुख कार्यकर्ष निमिव किए। पौष मसिया मुभम पार चरित्रवान बनों पनामा । गादी सपने से, देवी पशु, प्रेब और बादी दी। इससे रेलवे