पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१७९

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माधमगीर पोसवाम किया। दोनों मी मौरंगने मेदिए, और उसी हुक्म से मुगर के प्रत गते पोर पर हम उससे वारणा मोति मारते थे। इस पर मूल मुपर उन से पार पण पवा पा । ठने देखते ही मुरार ने सरा-"रा प्रामाल, पहिए हरकेमा हातपाtm "पापिनार, तमाम सररर र लेस, बार के लिए पापिनार के दुस्मा मुम्वरो।" "बेकिन माप लोगों प्रमाण पपास है कि मुझे औरंगजेब पर बपीन नहींना पाहिए" मुहम्मद अमीन मे पारपर्व का भाव पारे पर सारमा- "माफ़रीन हुनरेवासा, दुनिया में ऐ भाई हो नहीं सकता।" मुपद ने मुस्कराकर मा 'माप पाते दिौरंग अरमाँ तक माधो?" इसपर मुहम्मद तिनीध मे प्रा-"हाबन्द, मुनने में मारा। पर मारगे में पापिनारदम प्रान्तबार पर" मुरादगारवाही शान से मा-"बातए, तो अब हमें एष समदा मीम सोना पाहिए और धन मिल पाना चाहिए। भाष, पर ही को पूरा बोच दिन बा।" थारी से दोनों प्रमीयें को देखने लगा । उनी अब भी परमार मार दोनों ने अप से मुगर मिश्र और साप परमा-"मो मम पापिना।" दोनों सरदार बजे गए दो बारपाबमा महिर सुषमानापारा- परत मुगर ने प्रापम परमेप्रपा मसामिा। उसी गठ उसने अपना नाम लेन मारणे पार करत दिपा । मीरपापाप पमवार भोर प्रेमय मेघना मी पर म मूला और गुजरात से सीधा पहाड़ों और पचों पाइपर शापा मारगे पश।