पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

समका पर दोनों माइयों की सेना भामने-सामने रेपो भौरमा मेरो कोख भागे बदर मुराद अगवानी की। आगे द र सतः राव थमी और विनम माव से मा-बापनार, मारणाव और सावन की मुझे बरा भी रवित नहीं है। हमाची मेखत इसजिएनिमिठ पर बन पड़े फिर वापसेको मेरा और भार का पानी हरमन है, तामिा कर पाप को सस्पन पर- बोलाली पा, रिठा।" औरराव मे बर मागाव रे माम बरपाये हमर भी जो मुगधी उठा। उसने पोरर और सब उपाय से पारंवार पारेने प्रारम्म लिए। और अब बामिया- रसवोपनार, प्राति र सम्प्रेषिव परवा और वापारस मेसीमावि अपमे को प्राता। मुरार सम्पमासष में ऐसा पम्पा से मानिस परी भाईरेमाचरण पर ठहनिफ मी सोमपा प्रपर बोनों सेनाएँ मिस पर पहुत सी हो गई और में पीरे-धीरे उनी पोर पदने बगी। मागरे में बापासमर पपी को वहाँ पिता और भायटी बावावर का गमा-बुद्धिमान लोग भने सगे कि पौराब इमिमता मोर मुराद में शूरवा रेखिए सारासाठीहै। .३७. गुस्सखाने का दरबार बारपार गुलवाने में वाहिरवे । सदिय मोमबसिरो अभीमा प्रथा हो पाया। मसरदार सीहाँकी उस दिन पोपी और पानिपत अदा से एकमे में बगामापा बमा गिरिगपरणाम रोये और नापसापामार