पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१८३

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मालमगीर पी, उनका यह पाया कि यह ऐरे में बसी मन प्रसर है, मगर यह पर्मापार वो उसे पठान ही प्रमझता।" पारयार रेशेर की गरज उठा। उसने प्रा-लबरपर, पार रहो ममी तर अपवाद हम ही" परन्तु पारा पा से मागे गया-"यकीनन हुमर मारणार और बस मे रैफियत तक्षपो पूरी पात मनिए यूर ! हमारे मामू पाव पगारवा लों, मिनी बेगम पारगाह एकदम तब से वो दो गए और पागली वय अपने पाम नोचने लगे। मिर्चा गश मे रणारे से पोरोन और पार वार को समाप्त कर तफ्त पर बैठाया । वम्त पर बैठ कर बादशाह मीनने सगे। फूल-फूट कर रोने मगे। अपने पापो स्मरण करके वे बहुव विपत हो उठे। मिर्ग पागा मे कमा- "पॉफ्नार, यह बळ पर में पर गसमे प्र नहीं है, पर इस बक मुठीत कामी पगएँ वाई। सबको मिलकर उसे दूर परमेश्र बम्बोवल काना चाहिए।" भारणा देर चुप बैठे।फिर गोले, "अफसोस, हमने को जोबा पापान मा । मने पालीस साम बिना लड़ाई झगडे के काटे । मुसा में अमन-मामान पा। सोग पते-फटे । मगर अब रेलव-माम मुसा उमा वावगा। हमारा स्वनी मेहनत से मा पिमा ससाना र गवगा । पर मुगल तम्स अप पूद में मिल तप्त 9 रेरणा प्ररम्याधी ऐसार सुरुमार शिकोह धीरे- पीरे मागे गदा । मापस वर्ष प्रमुबर दुगा पा । बागार, सरक किन पिछी पा। बादणार उसे गुर पार पर है। उसने पारगार के निकर पहुंपकर पीरे से भा-"पापान, इस पर भी न ते, पो होना पाहो मया । इए, माल से एप और इसन, गुबराव