पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१८४

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गुत्लखाने पदपार से मुराए मोर मोरंग बदते माहेर विवमे सव बावे है उनकी ये लोग कुछ मी परमा नहीं करते। लावार दलवान एषा सोन पार कर पुरे, उनके साथ पामीस बार सार और रेद मास पारेलायती बेशुमार रसद और सबाना है" पर सुनार बार हमारे में प्रार प्रचमान में जाने बगा। मुझेमान ने अदा मार फिर मा-"मगार का हुकम हो मैं पापा जान से मागे गहने से रोक हूँ मा गोपा पर के रूप शातिर को " बाम्याह मे मिर्गा गमाबपतिहरप्रममा रिसे देखा। मिर्थ राया मे का-"ग्राबारे को रपव मुनासिब , बपिनाह" 'वो' शसांचठे हुए बादणार नै पीमें सर में कहा-"हम चाहते शाप साप भाप मी, भार नपस्ते मातिए

  • पुगमे सैरमारt, मेरे पुगने दोस्व मी है। भापी बहादुरी दुनिया

मे प्राहिम चाहते कि माप से बने शुमारे पापत माल सौरा।" शायारी भरने प्रति इवनी उपेवा और प्रबाश दारा पह उठा। धरने पर सेबा-"मुनि रामा सगरेप मादुरो- मगर जारिरबोरेपण मीपठीस पर।" पारण से ये इसलिए ये याद न रामों को न सुन । मगर मिर्गा गमा ने तुन लिया। पर मी सह गए। नोंने पारया के पास समरा-धापना की वैसी मर्य होमीपही होगा।" "तो हम पारवे है कि श्राप र देगारीकर। दिरों मी पापणे वाम गंगे। गारमारा मुडेमान श्रे में मापार प्रवा" गामे स्वीवि सिर रिलाया। पर दोप-या परसर