पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१९१

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मालमगौर सोग र मेरे नहीं जानते थे, वे उसे एक भौतिय धमझते, उसे पावा मम बहुत से पीर सैयव ने उसके पास पूर-पूर से पाते । उन दिनों सदनगर वही प्राव-मयत होती थी। बम हम मनमानी मीच देवे-उनाव और उन माहमखीया मिसावे । न पीये में बोले ही तम्मे और हासे ये, अधिकतर मुसो पूर्व ही होते थे। औरतो को सब पूर्व था और बिना बहरत कमी एकहा किसी नही रेवा बा, महा इन मुरम्मत पंगुल में पो ता । उसे प्रमेक बार इन मी फकी पाखा किनेकी पना मिल जी पी और उसने इस बार उने समादेव का पूरा इण्यरधिमा । उसने पाहा की सब परी दुसानपुर में हम पाय और उम) मोचन, वन और ममीन बम प्रदान लिए बा। पानामा मनते ही दूरदूर * SAT प्रवर से शाम उठाने परहानपुर में मा टे। फरीप्रएकप्रपालामा मेवा सय ममा । बायकीमा में परमा गए। और सम मापन (बता मान्यपी उनके पुपने पर वार लिए बाईऔर नए पत्र उन पानाए बा । रोबर बापता सामोरेको पायर और विमाने जमे कि नही, मही, इमलीपों में मरेंगे। बम एन महीं उतारेंगे। बम पो पाst" पर इस पूव गारपये के सामने सब मम्माच म्प की। उन पे पुगने पर उतार कर नए बम पाना दिए पर। पनुपरम पुराने बोधी पक्षाची ती मईयोन पुरनिकों में नपा मेशुमार मों, अपितु व से बाहर भी सिद्ध हुए मिले। इस पुस्तके माल पाकर बोरगर मार सुगमा। ही समय पर पोपुंगीव मापारी मे पौरसर में एक बालन श्रीमती मोती रिवाया और औरतब मे छन प्रश्रम सेगा मातीसरीरप्रापिा!