पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१९६

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अपनी-अपनी रची-भपना-माना ग उनी इसाने पर गुमा भागापरसेविषय पेरिगल मपी तर या मी बानते थे कि मीरपक्षा और भएर मिश और पगता है और माविम पिस नहीं भाग, बाके गास में मासे, उन बातो मे मोरारी सम्व र- मीति से बानघर बना दिवा पा। पाम्न दाग ने सरशार से उगरे मीवरसा साप मेयने भी भाशा रिक्षा दी और उरेबाना मी पा। मीरखुमहा इन सब मेहों को धनता पा, परप्राय देश पर माती भरपा, उपने समझ शिपा मोरंग माग्य प्रा उस मुम मेता देव पापणा और दाराशर पाना उस्त बनाकर मोर उमा शाही सेना और लगाने की मार देर सो पात बास और शुश राप-पैर पे सवार उससे और सपेरे।। उसने अपने १५ में इसी में रहार भोगावो मुभरमसारी दी थी। सुहेमान शिकासो और वीर एक पुरामिणाम पुररुपा पर या यमनीति से निपट मनमाना। उसे सोमो उमंग भी भोर पर व मुर में दरार मारने, बस विप कामेश्य अपने माथे पर बाँधने को वापता होखा था। परि उतरे गम मिनाया बम लिमोर प्रसि सेगपति दिरों मो थे, दो पापा भारी विभाग और राम्प के खम्मार । कासकर पमा बहिरी समक्ष धारा में पाक यो। प्रती पर अपारियों के स्वामी है। एक बीर अमुमनी पौर राजनीति विषय पदाये। ठमोने गोपी गिर प्रासी पी। परम् पाँ पोजिपिना पगमा मुस्ख राम में माप से पस्पर सबनीधि बसती थी। प्रपन पायाशुपम उपना शिरोधी म मा। फिर निधो दिनो पर बहुदा मरमा गमने या सरप में मनमानी करने से भय से उखा मन घिर गया। इको प्रविरिसायों ने उस पर पाँव भर दिए थे कि दारा मारने अपरेन ग्रि