पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२०१

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भासमगीर अब सोरर पबा साहब ने मा~ "प्राप गाडी, हापी, वरपर सा एक पार राव रे सामान भाव र षरने प्रस्प है। मगर अपने अफसरों ने पोतीरा पोर पर एम्म रेल रेसहाई के नियमन मार से और फोही इन महारे पापा करने के भागे पदने के लिए पौने और मुस्खेद रो।" इस पुर म्पू रचना इस घर की गई बिमोच में शापाया और दाहिने हाप पना भारत वा पिप दिहरन। भी शारियों की सूचना गुप बासूनो मे मुख्य यो-और उसमे भी पुपके-चुपके अपनी सेना प्रेकरमे के लिए, ठेगार रमेको पारे अभी पोहा अन्यार वापीबा, कि महाराव नेरका महारा बममा रिमा सवार एक ची बगह पर सरे शहर में शुमा श्री एक रेगने लगे। एप मर ही में उन माम हो गया कि युवा ने प्राहमण बोल दिया। बस फिर गया। मिर्गा राय ने अपने राषपूत सरदारों में पित किया । गुमा ने अपनो माया विपरीव गहुको घी मुस्तैदी और भारपा से जमकर पाने में समय पापा । समान में भी इस अपार पर अपने दिल ने पूरे किए । भूब पारी दिलाई। फसता दोपहर से पहिले ही मामा सेनाका म्यूरदर गय और बहीरे में उसरे पर उहा गए । मा शारया पापी पर बैठकर हुप वरा माग हा दुमा । बारा में भार समान शिपोर मे पागे दपर मागवी दुई सेना कारना गुरु रवि | सागरे वापमाना, हामी, सीमे और गुस्सा साना र बिया गया। बहुत से सिपाही और पारदी भी पना लिए गए। जिनमें से पानीस प्रमुख नदार बात तुरन्त मागरे भैदिए म । मिर्ष एका पाते हो बाको पार रे मी र हाते ।