पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२०३

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४२. दरबारे खिलवत भारणाको प्रब पियास हो गश किपा मोर से बिनायी पराएँ पिरी पा रही है। का परत परगी, वध ठिकाना नही। उसे प्रत्येक पति पर सह और प्रपिपास था और पम पम पर उसे यह प्रायोगी पी कि उसे करी को पार न मेरे। बहुव समोर हो गया था और मन ऐसे पेग समूगो मे उसे घेर दिया पाकिमिनसे अपने प्रयता दीनपा। दाय मी पापा उतना ही भय माता या बिना अपने दूसरे पुषोदाय प्रमाण पै मरठी र पापा । ठठ ठठ सैनिक नगर में घमासी मासे पिरोपे। रामपानी में सम्परग मी भी। मोति भाँति की अपारंपार में सीधी। इस समय जितनी सेना मागरे में एक ईपी, उनी भागे प्रथम मा के विधान में कमी नही हुई थी। एक लास मार, बीस बार पैरस, या भोर मौकर, परिवार, मोबी सबमिर पार साबर भागरे में एरो यया पारदरा ने साराबाना अपने एप में सिमा या। ररपर प्रयास मा। दरबारी रियासी बेतुमेमान शिकोहरेप परे गए थे। बोसोव ए गए पे उन मा कपा । पारयार दुम, नियया और माप यार गरसे या दवा भी नहीं पाता पा। मविप नर उसे सुनम को मिल सीधी। उसने मना-हेमान रिमो मे गुयी प्रेम हरकर कुल सामार और पाही सेनानापमापरे पेश पापिने वर यशपाया। मारणा गडोहा या माउसमे मना कियाखा पादनकर प्रेप से