पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२०५

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प्राममगार १६. मगर हुए, मैं को देवा में उसका मी परवा नहीं रखा, मैं उसे महर की मांति पीत राहूँगा।" "हम समझ नहीं सकते। मुराद की बामदी और प्रौरसवनी बामा गजरा देगी। एक ऐसी प्राग मारेगी कि कायम मर बापगा" इनार बादशा मे पास होकर दोनों हाथ उपर उठाबर मा-"या सुवा, हमने कमी यह नहीं सोचा पा किपीते की हमें ये दिन देखने नसीब होंगे।" बादशाह पर देठा। रारा मे पैर में प्राबर मा- सब रही गमवीप मतीबाहुपूरी ने इस मुसीबतौवा रिया है। अगर माप मीरहुमता को फोन रेकर दसन न मेवे दो औरावी पाय यह वापन हाती । र, में मीरजमझा और उसके सरके मुहम्मद अमीन से समझगा और यातना से मी, बो पोरगाह मेदिया। मरने का परा गगा भोर इनके कबीते कर नगा और औरतो वाधर में सब कमाने के लिए मबरगा। बाप से विपीनेहगा और सायरी दरबारी प्रदा भूज पारशाह ने अपनी पपई हुई माल पुत्र पर गी| उसप पीना चेहरा सफेद हो गया। उसने पा-"तुमने यादवाळी मोर मुहम्मद अमीम कोरलिया, इसके लिए हमारा दुस्म लेमे और हमें इसा देने की बात नहीं समझो। तुम बानते हो शाइस्ता नो ग्राही पितेदार , मतदार है और बोगबर मामी और मुहम्मद अमीन मी उस प्रादमीच यति पाने बात है। मेरे, इतने उतारते न बनो। समम से अमनो। समान शिह मे कचरी मे " "और तुमने उन सबके हापमा पेट के लिए पान धमे बाले सिगरिनों पर पान "