पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

प्रावमापीर "हम बापनार और तय सेवा "तो भाप तब पनवार रब हरिए " सबमे सवारी रापप भी। पर शापवाद को दी। उठने मम्द स्वर से मा-"महाराणवसम्व सिंr, हम इस पक मारक और मापके इन सापी राबपूर्व सरवाये रे निम्मे एक माना और माम पम औरते। पाप माराम चौरसव हार से ररिया पार र घुमी और मुराद मे सूरव शहर गारवर मग हुनन्द मिारे। ये दोनों भागरे तरफ दे मारे। मे बंग की हैवारिया नि महाराज साम्त सिंह, भरनारी पून बहाना में पसम्म मही है। मारवाए, पौराषिय, मुरारको मी दिए । एमाप मासर बानीबिपाप उनसे मागिर । मगर ये बोग गाही सो न मानका प्रमर बदठे ही बॉय तो फिर आप फोर से धम से सकये है। हमारा पुयना नमसार अमीर कासिमा पाप मदव पर भापके हमराह मप पर ठमरा पक्षाने से रोगा।" पादसार मे अमीर कासिम ना भोर देखा। उसने पर बमीन भूमी और भा-"हाँपनार, गुलाम बन रेकर मी वमन की हिमनरेगा परवाह हुए। रि उनीने मरे मते में पारा से- "पानी मेरे, समाब्याको मुनाकिसाब और हम साप रिदार पारा पुपचाप मालारस रिपा। पाशा वरेर पुराप सिर नीचा किए टेर, रिसोने मा-"महाग पाप बानते हिम सिर विचारतियों पौर नमारगमों से घिर गए है। मेरे तपा के भूसे, परिया सन महार, वीर सुरमई, और ममी चाची और गाARI हमें हि गवपूर्ण मानिननन म मने में है।"