पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२१

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(3) सपना, सेना मसंगठन और बारा का स्वारप्प पियरे प्रपात पुर में बद हो गया। अभी मी उपर से 84 ठीक-ठा लग रहा था। दीमापुर और गोलमा मुगल सामाग्य में मिल गए थे। मराठा या मार राहा गया था, और उसी पानी पर हो पुर्वी यौ। तपा उठन भारा कुडग मदीना लिया गया पा। प्रगर में औरंपरेच एक विनवी समारही प्रतीत होता था। पर उतरे अन्तिम बीमन के १८ वर्ष अपने विद एकत्रित परिक्ष शक्तियों से संपर्यभाने में और उसमें निरन्तर असा होने में बीवसे बने गए। उसमे गुव वाले बदली, अनेक मए सापनों और उपपा का प्रयोग यिापार वर्षमापु में स्वयं पुरस्पन में उठग, परन्तु पर । प्रम्त में मायु मे उसका दामन पड़ा और पामनगर में उसकी पिन्दगी का सफर अत्म हुमा । घामपाम चतुरसेन मोहाण प्रथम मपसक स. २..८