पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२१०

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दरारे विma १६. इवा रसाया मे दोनों हापों से हर किया पोरके पररास से मवनर रह गए। पर मंग करके महागब बसवन्त दिमागे पदे, मोने माग रेर बादणार को सपेट रिया पोर विविध प्राशन रेविदा हुए। दीनोदुनिया के बाद गारो लोर निराशा में सेठे। विप्रा के तट पर माराम बाम्त सिंह बाहुन पोरे पोरे पागे पदे । बसम्व गि की कमान में शाही सेना ने ठग्न में पहाब महा। भोरदये मा गदा, बादामा पपा है, उसमें सेना रेसो पोर विचनी समय में इस पपूठ बोला मेच मी रन पो, मरने इन बातोपारने को दी। टान पर उसने मुना-दोनों गाजादे धिमा ठस पार छावनी गोमोर ग्नशाम चार बार बार और उमदा पजाना भी। पर सुनते ही बयत बिहार-वि स गर । उसने उम्मैन पदा मोश रचिय-पम्पिम परमव के मैदान में पाप गक्षा। पात्रों की सेना मा से औरत एकही इतके असर पर ये । बवत शिपाया पीक पाही सेना की मपाई सुनार में बिगत यात्रा माप को रोपे मोर उसे कुछ मी न भरा रोपा । पए म उसे पा सर दीवाने लगा कि पुर मनिपर्प। पहबत सिंह पयारा मारेरा पा ARASS विरा हेडर हो यात्रा हमाई भी बाप । महिए ग म मी निरास म र सकता था। परनु प्रोगाम एकपरिममे पुस्य था। गाही सेना में प्रने परसर विरामी पचपे। पक्षों में विभिन्न विमिन