पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२१२

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पिप्रा के घर पर दुरुप मूल उन्होंने पार उमहोंने अपने सोरसाने की उपयो गिता विपार ही नहीं दिया। मा उनी मपान मसती पी। इसके निरोगामेडी सेना में मम ए फ्रान्ठीमी और प्रिय सोपची । बिमोने ऐसी गोलाया कि सबम्त सिदी हमी सेना की पमियाँ उस गई मारासत दिने गा झवार से भोप सामना करने प्रहास्पारसद साहस किया पा। इसम परिणाम मीना पा बोभा। पोरंगकी सेना प्र संगठन और तोपखाना मे तो पा हो, ठी सैम्प संयमा मी शाही सेनाले एयर श्री। बतम्त विद मे गरी से बगर औरतयेव के पास दूध-पर पृष्ठ मेले पे, पर इनमें से एक मी झोर कर नही मा पा पा भाकर उगोने देवा-पूरा भेजना है। उनमे कासिम का से सम्मति मांगी। परन्तु पर विपातपाटी प्रथम मेरो से मिज दुध पा। उपमे 4m-"महाराब, पाप को पादचार भइम मासूम है।बत में वो यही उचित किचुपचाप बैठकर देलनि थे कि हि गोपाठ HE हम ने पार नदीप उवरनरेंगे। थारमारे परि ऐसी कोथियरेंगे तो मेरी तो उमयमा गादेगी। माप इत्मीनान रमिए।" मी पाने लगी की प्रशन प्रारम्भ या सीन में चिमा पदी के किनारे उस पार ए पास की कही पर औरहार और मगर संयुक सेना मे मेरे गते दुर थे। प्रमी उनी सेना पूर्ण परिपत नहीं हो पाई की। बम्बे पहाड़ी इसे बने-मादी सेना वितरतिर हो गई थी। औरतवैव में हर मोर से चौमा सेनालेम्पपस्या की। उसने मुराद प्रथम निया में प्रांतो में रहने बिए अपने पुत्र मुवान मुरम्मद को नियुपि पास परमी पास भार उस निरम और बारम्बार पानाह