पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२२५

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भामममीर उनके दोस्त बन गए थे। पर, पारोग से मोपिए मर मपा- चोर बोली बरने में सफलता नहीं मिली तोलामे मार पागग प्राकर बारा से प्रीलिमेप एलेदार दुरदायर में मौरी ने रिवार से भागा पा । दुर्भाग्य से उसे पर प्रतिभा माम नरोतरी और एर तपप में पहुँमा मरगा । पाँ हामि मे ठप सा माह-मवार रोज रहा है, पर समे रिताय बारा दाग मेसोबरमही भी भोर एम रेविष पर समस कोमियोपासाथीभपता पा पोपा मगरने लगाकार मात मुझे रो-रना में माल परगा। साधार स्मिपर उसका मरमरमे के लिए उसे मो भाषा हिस्सा देना पड़ा। देखोग से माँ राप में ही मिरी मुत्ताव ए. प्राप्तीसी सुनार से हो गई। पमनार मी पापा और उसकी रेगमा सिए पर पापा बरवा पा । इस नाम पेरिसर पा, भौर पर एस महा भारमी पाती मे उसे उन प्रधान सारा हम दिख। र दिन भी माहीती भोग अंग्रेडमार अपना पुरमन समझने-और होता उन पर मते रहते में उसी में विरार भी किया वीरे माममश्री बिरमत में बार करे। रेविरग्रेस और परवी माया व शाम था। उपने अपना देय ग माय । सर पर सुन मतम पगड़ी पानी, पित परमी समरेपमी वा शारेमा वारन गरे में बाधी, सर पर मुखबमीन नहरी पार बार पानी और एनिमप मुगा मानव के बोर के जमने वा पहुँगा रखने संदेर में बीर से डायबिपान पर रिण। न कर परे भायम मै उस पुरावे उपर से नीचे रेखा-