पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

RS प्रालमगीर रहा था। रात मोड़ा मोरगर के दापी पात पाही पा विनमारतों मे बसपर मारी। सास ने पसर पर बाला फेग, इसी घर मरामा भावी सवार बरसात की मॉल में पुष गई पी चरणामी हपार नयना हावी में। रोनो वीर पाप ही जून में सपपप गिरे और रेवस मनाते हुए सपियों के पैरों पा पाने गपो में इषर पटमीशे गए। रोप गपूत मी विन-विन मरे। घमासान युद्ध पुद पारम्प दो में दाय सेना के मन में अपनी बपर कोरम रखमों की मदद के लिए औरणी सेना के सारिने एक पुल गया। इससे मशन सी और स्वासदी पी। प्रधान सेनापति था और उसे समूपी सेना पर संबाहन और नियात्रा अपम रसना भावरक पा-बिसका इतने पनि विचार नहीं मिला पानबारे पर सा माता मा रमन के सममे दवा पर गया, हाँ तो विकराल र लिए उसके स्वागत प्रसीचा रस थी। पापय मर गरी भाने माने पर वे बिलकुल ही प्रा ण । पाहेमादामा रेशा प्रा और नापतियों से वीरता । पावे करता दुपा बदा पसा बागा पा मूर्व मे वरमा प्राबर अपने वोपताने को योगामारी पर रोक दिया था। वाशापानि न पी। रमन की चुप थी। परन्तु मनी पावसेना उनी। में पहुंची ये पर प य रठी। उनके बाद ही परियों बम्पू और सबरवार दोपों को बाद मे राय की मददी ना एभएकी मून गा! अशेष में एमम मपदा मर