पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२४८

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मुगदप्रकर माग सम्माः नापाक नबापत राय से राव हावाल मारे गए और उनकी पौर भिर गई है। सरा इस बार पूर्व मन मी म पापा पाकिसग समार मिना दिनापुर रखम ौ, मरम्पर मनवान और मौवाय पारसी के यो मारे गए और उसकी जर मी माग सही है। पाग मे प्रोगायो पर बाग मारमे विचार त्याग दिया और पाई मोर को पापिया। मारी मार-मार करके मुहम्मद मुजवान और मीरा ने पारनाको अपमे पीछे पोश रिमा। उनकी ना मैनान दो माग सो दाग मे इन पुणे पहा र पीठ केसीसीपी उसे सपना मिलो, कि पमनिह पठौर को वीरता से रानु सेना में शुम गया और बुरी तय पिर गया है। उपर बदा। रामणि मुरादपए से जमा के पापा । मगर समय पर पीर बाबा बा -पान राममि मा एकत्र बोर पा। दोनों बोर बद-दार आप मार रहे पे | किस पस्ने रामहि मे या मेना मंग पर प्रवेश किया था, उस राखे चाय के सम्पर सगे। मुगद बन उसके सारे में प्रा गई यो। उसमे मुराद की हराम को वोर गता था । तोपखाना दीन सिमा पा और सपरता में से मरी हावार हिलातापामुपदरापी पर पमकाया। एपीपार में उखने मरा मार गिरामा पापौर यादमारे परे पर तीन पावर दिए थे। यदि मुराद पर फोसार भी सम्बारी में महोवा वो उसके दो गए ! मुपए पपपि वीरग, परन्तु इस समय पर परे पर में समपा था। उसके पास बहुत प्रसेना पपगी भी पोर मात मर दुपा। बापर्यही परने पो रेड पापा। यह अपने ब के ममें पानी ग्वा मी बर या मा बि उसने पुर के मैरान में वाय रखने का सवय उठायमा अजा मुम मनाया देत समम पापा, पापारागार से मुहमारमा ताप