पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२६०

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असारे में नकी म सादी विदरबार श्री माम देगारिक हो गईमोर दरबारी अमीर उमरा दाभिर है। औरंगाचे धोबीर सर दरबार बा सीमे में गया। मुगर को पहले ही मसनद पर देठापा। पोरर में उसका मारायबामा और सरेप करने पर बगल में प्रथम से देट गया । दरबार की अर्पबाई पारम्म हो। भोपा ने माम मारियो और ममी ने समापन के पा-"भाब भापत्रे पा देनार मै बहुत सुधीरे और हम तसीम कि हमें बो दमकमी दुई पाप लोगों की मदर और प्राकिलाना मयरे से ही लिए हम भापके बाव बाल ममभून और पापको शमीनान दिशा मी सब गरपामिर पारी पाप लोगों के मरे और रसीफे पम्द कर दिए माग और मुनासिब वौर पर गुनिरा भरा सिवाना | Rate सोचना यानि इमाम मिापार मोर परत सलामत से बात फ और बीमार हमे से उसनोम सठा ना सरते, उनका क्या पास किया बाम । पख ने इसे रगार में वसन कर्मापाप लोग मुनासिब हममें में समपुर की पदमबोसी हाजिरे और उनम पम बस्येवरम पर खाएँ ।" इवमे दी में २४ प्रसिदमे मार मान धूमी मोर मी "मर, पुरा, पारो मे एक बाइस प्रेस गिरफAR किया कि विधी वाया था। हुम से होगा विएम में आमिर मिरा भार" जोराने में पति र अपमे भारी मार देखा और पा- "क्या उसे पाँवाया थम, पारिसर में उठाया यामाहा मे मा- "ससे भी पिगार साबिर मिल पा पाहिए और मरे प्रकार में पि िबोली अमे पाहिए बिसे र प्र- शिव मादम सेपर" -