पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२६१

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प्राममगार अब जापागा भाष प्रष्ट करते हुए प्रौरसर में मुगर परफरेहामुराद मे भा- "उसे इसी बफ हमारे मारू हाथिर किया था।" पासिराम बावार साया गया। पातो रातो पानसे बरामद मा पा पेय विश मय। उसने वस्लीम भि कि सात बादशाह सलामत और पेगम साहिबा ने पाबत उसे देर राग पाव मेवा पा । मुगम पाहता तो मे तोमर पदा। समें लिखा था -"मेरे पारे , म पामरे से पूर म बाना, स्मोकर बह करीब दम देशोतो किमारे भागो और स्वार दिन माई उत्ती पारमी के पापों अपनी मनी को पहुँगे, बोपर शिमवी से उनका पाप है। कमीनी और गली रात परमेषाने मुराद और मोरंगब बस लिने में पाप मपर एक बार अन्दर पातिक रोने के पद पे जिन्दा हो जाएंगे और दूसरे लोग उम्पों पर उठाकर ले पाएंगे। उस बफ मेरे पारे धेरे, हम भागरे पहुँपकर मायम से हिन्दुस्तान पर मत पना।' सा मजमून मुनवेदी पारस चोरेका रंगको गया । पर अपने पार परफमेकमा पोर प मसनर पर मारमे सण । उतनी प्रातों में मप और विरमव असे दान मा गदा । मुराद पसे से मामे भगा । दरबारी दंग पगए । भोरंग में इस पर अपना सिर पर शिा कि पैसे पर पर वेष में पा गया हो फिर एकाएक उबित होरा- “नहीं, नी, हम पकीन नहीं करता। पाला बासी, से पाण पदा बाय । रमन पाहते है कम प्ररने प्यारे सजनवार से र।मरी, नहीं, यह मही से समता, हम उनसे मिलमेबार बहराएँगे इस पर शारखानों में प्रापार पर पदाकर भा-