पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२६५

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माशमयीर उब मेरे से गवा पार निवासीर में पचास व्यत शिमुख श्री बादशाहत भोगनी और पूपी अमन तरसे साठस पर बै पा पा । औरंगये मे अपमे पेरे मुहम्मद सजवान को समझा वि किोि में दलित वेदी फोरन पारेवारस करना , बाद-ये पाव भीतर दाखिल होकर दमाम नापने में पर गहन इसके बाद किले में को मी पिचारमन्द मादमी मिले, बिना वापस सरदेना। मुहम्मद मुनगान मे पही मिना भी । बिहे पर वे प्र नन फानन किले पर पूरी और पर मना कर लिया मोर सिओ तर सिपाहियों ने मौके पार उवार बादशाह के रंगमाष पर म विश्रत बनो मुस्तैद पहरा बैठा दिया । पापया इस बोसेबी ने विकुन प्राथा ही न पौ। एक प्रकार से पेश होर गिर गया। इसी समय मुहम्मद मुसवान एस वियत अपसराप मोगा मेरा पापणार भिरबारिया । जिसमें लिखा था- "गए, अब अपमे रंगमान में इतमीनान और भागम से। भोर सब विस्म की फिक्र और परेशानियों से अपने पापकोबरी समर क्योंकि ग्रा प्राप सावन का बोमा उठाने के प्रविन नहीं । मने एस्तनत अमाम बोम प्रपने यो पर उठा हिपाtp" भारणार याबात मे । परन्तु बेगम बाँप्राय और जीर में नों मे पारणाामो पण परामर्या और मा बिपरि पर यो। सपा हो बाब यो प्रौरंगये प्रचात्मा ही है। ते तिनके पाग। पारशार मे एक विपक्ष लोरे वय मुहम्मद मुसा पालामा- "तम पामते हो कि हम मिनी मुरगत बरते हैं और पनसे मिम्तिने लापारे। पत, हमने एयदा रसिक मिमीको वासोतस्वरें और दिनुस्वार बारशाइक्लिा।