पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२७

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पादशाह सत्तामा परबार में हवाये प्रारमी मा चुके थे। फिर मी मीर पदवी ही पायी थी। इवना होने पर मी सर्ष गबब का उन्नाय पा । सप मस्या एक बाद भी मावि पी पी और सब लोग बादशाह ससामवाने की प्रतीक्षा में सुपचाप करे । एकाएक समाम बाजे को बोर से पब उठे। परेरे बाहर लोपापियों ने मापतों संकेत पार पूरे उठा उठाकर बादशाह चामत को सक्षम करना प्रारम्म दिया। धीरे-गोरे पादणादान पर मार दोर समाज से निकलते दीस परे । दावारी पुषतिर्यो पादान ठठा दीदी। भागे-पीस खोने मङ्गो तलवार लिए रण एपे । उनके पीछे गुणाम यावे, कारो, पानधन, पीप्रान, वसपार और बौरी लिए मारपे। नीबों मे समपर भावाम लगाई "मदर होशियार-निगाह पर सब लोग जमीन पर दिए असार तस्वीर में मांति हो। पावशा वम पर भार बैठ गए। बादशारको पोशार एक बात सुन्दर श्वार रेराम की बनी पी और उस पर पाए प्रछाबरी प्रभाकिमा मा पा | सिर पर बरी धमनीत पा, विठ पर बोनो बहुमूस्प हीये पर नगा पा। उसमें एक पुनयब तो ऐसा या मिनी बोर परपर संसार में न था, पर सूर्य की भांति थमाया था। उनके गले में मोमो मोविबोकारठाबो पेटरवादा। बारपार मे इस समय अपमे सिर, गते, बार और कमर में दो पपारण लिए पे उन मूष दो करोड़ पर था। पगड़ी के सरपैर