पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२७०

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पामात "रेण दी होगा, एवमीनान रत।" “म रोशनभागप्रेम हमारेर में मेरो मोर रेसि कमर साबमात गप साना बाई, से प्राने दो।" "म" "मनी बारव क्षिर मा मुनासिब समझो, नए साल मौर परवावे यार राहो निजात पोखीरा रो, और नहर रखो करत वामन अपनी पितानमार से पार न प्राने पाएँ ।" "बोरयार "मामो, मिलना मुनासिब समझो यो बामो और मामू यावा तापमी पर मेरा पवार बोरे बीन बार शाम किया और वीमे से पार हरिण। पौरखनेवरही देर राप मचता प्रा प्रोमा यसवा गा। उसमे परने होठोरी में का- सहारनी ६,दिमाम भी है। पर पारणामाम प्रधिभर दिन पए। पाशाही पनी हो ग। भामरेममा अटूट समाना, भात माफियादी बार- प्रवीन पुरवो भवन पौरागार पापा । .६० देमदपी से होने का निवारणा मोम एक और महा, उसमें लिखा पा~- "प्राय मुझो रासिर सर र बारिय मेरी विनासको मेहरबानी पति से और पा र रोता कि शिौर परीके सेप तस्व ना।