पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२७४

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२४ स्प पीछे रिमो की पर पड़ी। प्रागरे में उसने पारिन मुभम रिमाची पीप में प्रागरे का उसमे चाय बनामस्त और ठीक कर लियापा-मोर प्रबह अपने शिधर के पेषेपा। उसने बीत मीह पास पर मधुप में मुधम दिया। मधुग में सने उदके दो वरप। एक मानकर, दिल्ली कोबो मेरा मेरे गए थे उनके पाप की प्रतीक्षा में पा, पूणे, या मुराद से भी अब निषट सेना पाहता पामोकि प्रथम तो अब मुपद की कोई भारवाही न रह गई थी, दूसरे हरसर में भादि मावि प्रफतारेकरही थी। प्रत्वम्व गुत रखने पर मी पोरगर गोलोग मान गए और तरल में छोटे गोयरे से अपने मनोमा प्रेमसमे मगे । इस प्रसिरिता मगर मीन निप मरे पाते हैं। वा मूल, भविभाग, मह और हठी कामासी, अब सपने को पापणा मानकर मनमानी प्रवाही परमे चमा पा। पर मोरंगजेब कमी-कभी गुव तुप से देवता, दुपा उसी रयम का नियार कर देगा। उपरी ममी ने उसे पाकर माम दिया था कि वीरे-धीरे गरी मत उसके पाप से निधार मौरंगप पाटी वा पही। और यही बर्मा बनता पाराशन सरदारों के मारे पा पदम पर एक दो पार औरंगा निरोग र ध्र पा! रखने प्रपनी सेना मी दा की थी और पपुष वा पम बिना प्रोमोसे पर गया था। परिस्पिति नारी बाती की लिए उसने म मुगदर ममेटेको मन ही ठरू कर गहने भी निर्भरता पोरयटीसी नजर में मुह मविप्प भी परिपत पा और रीलिए मा परिहाल इठने माग पर गुबरमे ५ निभरदार विगा मागरे से पाने समय मी मुराद मे समय की थी। उमरे रपये प्रमौर में प्रा पा-"हापको प्रा पराक पीछे पाने