पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२८०

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नारामात - मुमकिन नहीं है। ब, पो हम मौन पारंगापामापी श्रीमती सिदमात प्रनाम मे " मुहम्मद सबवान ने प्रापो होकर माता - प्रा पाना चाहिए। मपी को ममियों में बताई। उसमें मारेर नही है। सात मागभमभवाम रेप अपने रिपोक परने और दिपार पूरा भनेको प्रमादान बहुत देवर सुगर में मसा की मुरम्मद सुवानमा मोरा अदुनिया रेमे किमाई भी मुहमत देनी होती है और किरपा पायरे से सह सामा। मुणकोसी पोरे पर Bार मा कमा पात दोया दुमा पारा और मारि रमोला- "मासिक" इम सबळ फिर अपना पर्चा पलायोमे" "मार साह पाहम' मा " मुगर की बोरियों में बस पायप, उसमे - "FEर साहो पालम, किरा होय हमें पापनाका nasपोरसमे मी पानपान में मुसि पाव भावर समोधर में - मा एमा-" मकारी गापामा मानिए भाष पों मारमा हो बाबमा ! मुझे कुछ मालूम है। बीमारी समाना पर पाए। फिर सब पहारस्व पामे प्राय । हो मैं मा मागमानम सक्षमे मन में से संरत पा-"पदोबत वार" रखी ममय दोसरमामे और नबारे उठे। अपने र भारताबर-बरपर मिला। उपर रोम यानपाव से परा-"मेवाराम रेवा