पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२८९

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२०४ भासममीर अपने साउन मने पी। पर प्रौरबाये मे हम उसे मपाथ नहीं दिया। परि गमी र प्रशिदीपिर भी उसी सेना रात-दिन पार पदवीनी पनी प्रती दी। सिपातिहास पदाने के लिए सयं पारे से मनुष्यों के साप पाया पारावत मेमा से भागे चनवा मा। पासापाप सिपाही की मावि मेवा मिमा पानी पीता और सूबी रूसी ऐरी साता, पतको पृमी पर होरहता था। परिसारासार मे बाबुन पोर जाता तो ठोरता प्रात न बार उसमे मारी भूल थे। इसके पनि मे भान पाने के लिए उसे पहुव मममाया पा । पर साकी मावि छ बार मी उसने उनकी बात पर पान नही दिया । इस समय प्राण प्राकिम मावापा-को एक प्रतिक्षित पदा गम पा! या मोरा मित्र मी न पा, सपा सतके प्रवीन बस पास की सेना मी पी। बोपनियो, उबरने, अफगानो के निार रपव में पा सदी थी। यारा के पास पनज भी कमी न पी पदिमागबारा महारत को और उसकी सेना उसे प्रारममावा मिसदी और ये उप्र पद प्राप परते। इस तिरा रंगन और उसय मी है निपये व से उसे प्राधी साइना पास हो तवो भी। पर इस बारे मून गपापा कम ग्रेरणा मे हार मारवा से नियम पाया उसने नियों दी से नहाता लेबर त्रि पर माल रिसापा। पर रारा पा समाव ही ऐ पाकि -समझार मीर पुद्धिमानो श्रीमति पर याप्रमही मी देवा पा। इस पार भी उसने ऐसा किया । सात न बार उसने लिप की यादी | मा में पोरगमना मिली कि परमावर रे फि में अग्नी पीकी और भाव का माह का कोहर सामान र माग गया सन्नर मप्प में था। पर भोरमदारका पहाग पग को अब उन पेश