पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०१

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प्राधमगीर में बीतकर पबपूर्वो से बदला से रहा है। इस अपमाह से परेशान रोवर मीग्डमक्षा के पचपूत सैनिक सेना हर अपने-अपने परों को रवाना हो गए। परम्नु मोहमचा अपनी सेना के तमासा और अन्त में पबमास के मैदान में प्राग्य । पाँच दिन पनपोर युरप्रा और मीरममा की दोपों मे उसी बुदियों को दो मिही और वो भी सायो से बनाई गई थी नार दिया। अब उसे परमात मी मग था, उसे रापत नहीं है भागना पोहो मी हो गया । मार्च समाप्त हो गावा। मीरमता प्र पवमान पर अधिकार होने से गंगा के पश्चिम प्राय प्रदेश गुपा पाप से निमा गरा। एषा केप अप पक्ष पाँच हमार सैनिक र गए पे और उस स्पा सेना हाने के योग मर गई थी। उपर भीग्नुमका सरर सूप ममपूत पा । पर बससेम्ब ना पी। एमा हे साप पड़ी-बहीवा की मि पारोपियन बजाते थे। फिर गाम में समूची बससेना मी उसी के अधिकार में थी। शुमा मे गौर किले से चार मीस पश्चिम गेंग को अपना प्रधान सैनिक पेन्द्र पनापा और पंमा पूर्ण किनारों पर मौके मौके का सादी। समय मीरमशा मे उस पोवा नहीं किया। उसे मप पा किएप बापा मारने की इका से बिग न बैठा है। इस समय पर ही में माया हो गई। बाबार पर्पी हमाति का मोरामला पबमास में ही ठहरना पड़ा। इससे आपकी गार होने का पूरा मी मिल गया। उनमे मई मा मरती श्री बिनमें प्रविश्रय पुगीर ये बोध दोनों के ताप बंगास निपले प्रान्तों में मा गए थे। ये सबभोर दोपत्रे सा मिक्षाफर मौरस बार पे बिहे अपने सवार से अपना गपी बना लिया। इस समय मीग्डमना को गंगा पूरे पम्पि किनारे तक पेशी हुई थी। उचर में मुरम्मर मुराद बेग गबमास में । यामारा सप पेना के एक माग भलिर हरियार