पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३०२

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युवा ग्राम भोर तामों के गप विप में सेब मील की दूरी पर दरोगाची स्पान पर गुमासामने श्यया। पाठ मील और दक्षिण में एमपुर में प्रजाती सा देठापा। पाठ पार हुने समाये के माम मीर महा मुपाठीमा प्रतिम धग पर गबमास से मात मील दपिप में दूरी पर प्रपितार मार बैठा था। मोग्नुमाता धारण के होपात्री के पास से गुप पर प्राकमा पिए मर पिनमें सवा मिनी । पाम्न वीसरे माझमरा में माधुमहा को पानानि उठानी पयो । उनले भने राम मरिचय भोर सैनिक मारे गए और एए। रवी समर बाजादा माम्मद वान रोपापी में अपमेरे पुपराप मापस एप से मिला । एव दिनों का मीरशुमनाम हुम्म उगते समाते पागमागमा पा। अपने ग्रेवारी सेना अन ममता या पोर मीरममा पनुशासन उसे समन मा। पामीरमझा विरस्पर की तीसे रेशा वा दिन दिन म भोर तारोवा पता बा। एक दिन बाद ही पाव में उसने परिपारि "मागरे मिरपाली मेप ही कोशिगो और मिहमत से हुई, एस, अगर मान इसके लिए किसी के ममनून हे जगे मेरा दो ममनून रोपा पाहिए।" ये पा पोरसभान तर मी पपा और का नाराब हो गया। पर बात गारपरे से दिपी म रही। बार या विही उसे मरसिया पार। भव में एक पत पुरधार बम शुश रबर में जा पहुँमाण ने उसे अपनी पुत्री गुहाल वाम् पार देने और सा राबगी पास भने में उसको मम शेने से गुम गमन दिवा पा! पर मुसं गामा परेका सो सरसर में पगमा उत्तर विपात मही सिमा । उसने समय किसी यह ौराकी पालन परम्मद मुगवान मे री-सही विकार की, गुबाव कमें ut चि मी एमा मे उसे अपनी मना में